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Hindi Now Uttar Pradesh • 07 Aug 2025, 11:04 am
प्रयागराज में एसटीएफ ने झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर छोटू धनबादिया उर्फ आशीष रंजन को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया है। उस पर 4 लाख रुपये का इनाम घोषित था। एसटीएफ इंस्पेक्टर जेपी राय ने बताया कि वह मध्य प्रदेश के रास्ते प्रयागराज के शंकरगढ़ इलाके में पहुंचा था। सर्विलांस के माध्यम से उसकी लोकेशन ट्रेस की गई और शिवराज चौराहे के पास घेराबंदी की गई। इसी दौरान वह बाइक से वहां आता दिखाई दिया। जब एसटीएफ ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने भागने की कोशिश की और अपनी बाइक की रफ्तार तेज कर दी।
पुलिस टीम ने उसका पीछा किया। थोड़ी ही दूरी पर उसने एके-47 राइफल से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में एसटीएफ की टीम ने भी फायरिंग की, जिसमें बदमाश घायल हो गया और खून से लथपथ होकर गिर पड़ा। इसके बाद उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। एसटीएफ के मुताबिक यह मुठभेड़ लगभग दस मिनट तक चली और करीब तीस राउंड गोलियां चलीं। इनमें से सोलह राउंड एसटीएफ ने गोलियां चलाई। इस दौरान आसपास का पूरा इलाका दहल उठा।
मुठभेड़ के बाद का वीडियो वायरल
एनकाउंटर के बाद का वीडियो सामने आया है। इसमें आशीष रंजन जंगल में घायल पड़ा हुआ दिखाई दे रहा है। एक एसटीएफ जवान उसे जल्द अस्पताल ले जाने की बात कहता सुनाई देता है। पास में ही एंबुलेंस खड़ी थी, जिससे उसे अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। सूत्रों के मुताबिक आशीष प्रयागराज में किसी बड़े वारदात को अंजाम देने की फिराक में था। इसके साथ ही वह उत्तर प्रदेश के गैंग्स को एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई करता था। घटनास्थल से एके-47, पिस्टल और बड़ी संख्या में 9 एमएम कारतूस बरामद हुए हैं।
तीन राज्यों में सक्रिय था बदमाश
आशीष रंजन झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश तीनों राज्यों में सक्रिय था। उसके खिलाफ झारखंड और बिहार में 20 से ज्यादा मामले दर्ज थे। धनबाद में नीरज तिवारी और लाला खान जैसे हाई प्रोफाइल हत्याकांडों में उसका नाम सामने आया था। झारखंड पुलिस लंबे समय से उसकी तलाश कर रही थी। वह पहले अमन सिंह गैंग का सदस्य था और अमन के इशारे पर हत्या व रंगदारी की घटनाओं को अंजाम देता था। बाद में दोनों के बीच मतभेद हो गया और आशीष ने जेल के अंदर ही अमन सिंह की हत्या करवा दी।
धनबाद के लोगों को सरेआम दी थी धमकी
आशीष रंजन ने एक बार सरेआम एके-47 लेकर सड़कों पर घूमते हुए कहा था कि धनबाद में रहना है तो रंजन का कहना मानना होगा। वह मेयर नीरज सिंह की हत्या में भी शामिल था। पहली बार उसे सरायढेला में जमीन कारोबारी समीर मंडल की हत्या के मामले में जेल भेजा गया था। इसके बाद 12 मई 2021 को सरफुल हसन उर्फ लाला की हत्या में उसका नाम फिर सामने आया। समीर मंडल हत्याकांड में जेल जाने के बाद वह जमानत पर बाहर आया और इसके बाद दो और हत्याओं में उसका नाम जुड़ा। उसकी बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए एसटीएफ लंबे समय से उस पर नजर रख रही थी। अंत में आज मुठभेड़ के बाद उसका सफर खत्म हो गया।
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