जैसलमेर में चलती बस में लगी आग, एक परिवार के 5 सदस्यों सहित 20 की जिंदा जलकर मौत

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 15 Oct 2025, 11:25 am
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जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर दोपहर करीब 3:30 बजे एक चलती एसी स्लीपर बस में भीषण आग लग गई।

जैसलमेर राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार दोपहर हुए भीषण सड़क हादसे ने पूरे प्रदेश को दहला दिया। जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर दोपहर करीब 3:30 बजे एक एसी स्लीपर बस में अचानक आग लग गई, जिससे देखते ही देखते पूरी बस आग के गोले में तब्दील हो गई। हादसे में एक ही परिवार के पांच सदस्यों समेत 20 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 15 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से झुलस गए। झुलसे हुए सभी यात्रियों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जोधपुर एम्स भेजा गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। बस में उस समय करीब 40 यात्री सवार थे। हादसा इतना भयावह था कि कई शव बस की बॉडी से चिपक गए, कुछ की पहचान तक संभव नहीं रही। प्रशासन ने मृतकों के शवों को जोधपुर भेज दिया है। कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि शवों की पहचान के लिए परिजनों के डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं, ताकि सही पहचान सुनिश्चित हो सके।


ग्रीन कॉरिडोर से जोधपुर पहुंचाए गए घायल

हादसे के तुरंत बाद 16 गंभीर झुलसे यात्रियों को ग्रीन कॉरिडोर के जरिए जोधपुर रवाना किया गया। करीब 275 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर सेना, पुलिस और प्रशासन की मदद से तैयार किया गया। रास्ते में एक बुजुर्ग घायल ने दम तोड़ दिया। हादसे में घायल एक युवक आशीष दवे अपनी मंगेतर के साथ जैसलमेर प्री-वेडिंग शूट के लिए गया था। दोनों की शादी 11 नवंबर को होनी थी। वे बस के आगे बैठे थे, इसलिए समय रहते बाहर निकल पाए। हालांकि, हादसे में आशीष की आंखों की रोशनी आंशिक रूप से प्रभावित हुई है।


एबुलेंस ने घायलों को किया निराश

हादसे के बाद राहत कार्य तुरंत शुरू हो गया, लेकिन एम्बुलेंस सेवा की खस्ता हालत ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए। घायलों के परिजनों ने आरोप लगाया कि मरीजों को ले जाने वाली एम्बुलेंसें जर्जर और गैर-तकनीकी थीं। घायल मगन के परिजन ने बताया कि सेना, प्रशासन और पुलिस ने तो पूरी मुस्तैदी दिखाई, लेकिन एम्बुलेंस की हालत देखकर निराशा हुई। घायल कंडक्टर रफीक के भाई ने कहा, "मरीज को एम्बुलेंस में डालने के बाद ड्राइवर पहले डीजल भरवाने गया, फिर ओटीपी आने का इंतजार करने लगा। एम्बुलेंस इतनी धीमी चल रही थी कि हमें अपनी कार की टेललाइट से उसे रास्ता दिखाना पड़ा।" परिजनों ने मांग की है कि राज्य सरकार एम्बुलेंस सेवाओं की गुणवत्ता में तत्काल सुधार करे, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से किसी की जान न जाए।


नई बस में इमरजेंसी के नहीं थे कोई इंतजाम

हादसे का शिकार हुई बस केके ट्रैवल्स की थी। यह बस 1 अक्टूबर 2025 को ही रजिस्टर्ड हुई थी और 9 अक्टूबर को ऑल इंडिया परमिट जारी हुआ था। यानि हादसे के वक्त यह बस अपने सिर्फ चौथे फेरे पर थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बस मॉडिफाइड थी, लेकिन उसमें न इमरजेंसी एग्जिट गेट था, न खिड़कियां तोड़ने के लिए हैमर। इन खामियों के चलते यात्री आग की लपटों में फंस गए और बाहर नहीं निकल सके। हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई शव एक-दूसरे के ऊपर चिपके मिले।


पटाखों से धमाके की आशंका

हादसे की वजह को लेकर कई थ्योरी सामने आई हैं। शुरुआत में शॉर्ट सर्किट को कारण माना गया, फिर कहा गया कि एसी का कम्प्रेशर फट गया।

वहीं स्थानीय लोगों का दावा है कि बस की डिक्की में पटाखे रखे हुए थे, जिनमें विस्फोट हुआ और आग फैल गई। फॉरेंसिक टीम मौके से नमूने लेकर जांच में जुटी है।


प्रधानमंत्री ने की सहायता की घोषणा

हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता देने की घोषणा की। पीएम ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जैसलमेर हादसे से मन व्यथित है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। ईश्वर उन्हें इस कठिन समय में शक्ति दें।” राज्य सरकार ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। परिवहन विभाग बस कंपनी के परमिट और सुरक्षा अनुपालनों की समीक्षा कर रहा है। यदि सुरक्षा मानकों में लापरवाही पाई गई, तो कंपनी पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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