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Hindi Now Uttar Pradesh • 19 Sep 2025, 11:51 am
राजधानी लखनऊ में महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव को बड़ा झटका लगा है। उनकी मां अंबी बिष्ट समेत लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के पांच तत्कालीन कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई विजिलेंस द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत की गई है। बताया जा रहा है कि जानकीपुरम जमीन घोटाले में उनकी संलिप्तता के पुख्ता प्रमाण विजिलेंस की गोपनीय जांच में सामने आए हैं। शासन के आदेश पर कार्रवाई करते हुए अब इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है।
गौरतलब है कि अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। राजनीतिक नाराजग के चलते हाल ही में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली थी। ऐसे में मामले के सामने आने से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
बता दें कि विजिलेंस की एफआईआर के अनुसार शासन ने वर्ष 2016 में जानकीपुरम आवासीय योजना में भूखंडों के आवंटन और पंजीकरण में हुई अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया था। उस समय लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात लिपिक मुक्तेश्वर नाथ ओझा पर अनियमितताओं की भूमिका तलाशने का दायित्व विजिलेंस को सौंपा गया था। इसी जांच के दौरान कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता भी सामने आई।
जांच में स्पष्ट हुआ कि इस साजिश को अंजाम देने में तत्कालीन संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट के अलावा अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह, उप सचिव देवेंद्र सिंह राठौर, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट एस.वी. महादाणे और अवर वर्ग सहायक शैलेंद्र कुमार गुप्ता शामिल थे। इन सभी ने मिलकर भूखंडों के आवंटन और बैनामों में हेरफेर की योजना बनाई और उसे अमल में लाया।
फोरेंसिक जांच में भूखंडों के बैनामों पर इनके हस्ताक्षर की पुष्टि भी हुई। इसके बाद विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजकर मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद इन सभी के खिलाफ औपचारिक रूप से केस दर्ज कर दिया गया है।
मामला अब विवेचना के चरण में है और विजिलेंस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि हेराफेरी का वित्तीय लाभ किसको-किसको हुआ और इसमें किस स्तर तक अधिकारियों की मिलीभगत रही। इस कार्रवाई से एलडीए के कई पुराने मामलों की भी परतें खुलने की संभावना जताई जा रही है।
लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों ने एलडीए की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, प्रशासन का कहना है कि दोषी पाए जाने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।