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Hindi Now Uttar Pradesh • 02 Sep 2025, 11:40 am
ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही 171 साल पुरानी रजिस्टर्ड डाक सेवा अब इतिहास बन गई है। डाक विभाग ने 1 सितंबर से इसकी बुकिंग बंद कर दी है और इसे स्पीड पोस्ट सेवा में विलय कर दिया गया है। अब से सभी पत्र और दस्तावेज स्पीड पोस्ट के जरिए ही भेजे जाएंगे। हालांकि यह सेवा रजिस्टर्ड डाक की तुलना में थोड़ी महंगी होगी, लेकिन इसमें स्पीड, सिक्योरिटी और ऑनलाइन ट्रैकिंग की सुविधा उपलब्ध है। रजिस्टर्ड डाक सेवा को सरकारी, कानूनी और वित्तीय दस्तावेजों को सुरक्षित तरीके से भेजने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन बीते कुछ वर्षों में ईमेल, व्हाट्सऐप और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते उपयोग ने इसकी उपयोगिता कम कर दी है। नतीजतन विभाग को इसे बंद करने का निर्णय लेना पड़ा। अब लखनऊ मंडल के 250 से अधिक डाकघरों में स्पीड पोस्ट सेवा ही उपलब्ध होगी।
स्पीड पोस्ट की दरें दूरी और वजन के आधार पर तय होंगी। जहां रजिस्टर्ड डाक 17 रुपये शुल्क और 20 ग्राम तक के पत्र के लिए 5 रुपये अतिरिक्त यानी कुल 22 रुपये में उपलब्ध थी, वहीं अब स्पीड पोस्ट में 200 किलोमीटर तक की दूरी और 20 से 50 ग्राम वजन वाले पत्र के लिए 41.30 रुपये चुकाने होंगे। दूरी और वजन बढ़ने पर शुल्क भी बढ़ेगा। लखनऊ मंडल के प्रवर अधीक्षक सचिन चौबे ने बताया कि यह बदलाव लोगों की सुविधा और समय की बचत के लिए किया गया है। आज के समय में आवश्यकता है कि डाक तेजी और सुरक्षित तरीके से पहुंचे। इसी वजह से रजिस्टर्ड डाक को स्पीड पोस्ट सेवा में शामिल कर दिया गया है।
कब शुरू हुई थी डाक सेवा?
भारत में रजिस्टर्ड डाक सेवा 1854 में शुरू हुई थी। अंग्रेजों ने इसे खासकर सरकारी, कानूनी और वित्तीय दस्तावेजों को सुरक्षित भेजने के लिए लागू किया था। उत्तर प्रदेश में लगभग 17,000 और पूरे देश में 1.56 लाख डाकघर हैं। गौतमबुद्धनगर जिले में शहरी और ग्रामीण मिलाकर 123 डाकघर संचालित हैं। लगभग 130 वर्षों तक रजिस्टर्ड डाक ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में संदेशों का प्रमुख माध्यम रही। गांवों में जब डाक पहुंचती थी तो लोग इकट्ठा होकर चिट्ठी पढ़ते थे। 1986 में स्पीड पोस्ट सेवा शुरू हुई, जिसने डाक व्यवस्था को नया रूप दिया। इसमें डाक 72 घंटे के भीतर देश के किसी भी हिस्से में पहुंचाई जाती थी, जबकि रजिस्टर्ड डाक में आठ से दस दिन लगते थे। ईमेल, फैक्स और मैसेज जैसी आधुनिक तकनीकों के चलते रजिस्टर्ड डाक की उपयोगिता कम हो गई और इसे स्पीड पोस्ट में विलय कर दिया गया।
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