अगर आप केला खाने के शौकीन हैं तो ये खबर जानकर आप कहेंगे- आज से Banana खाना बंद!

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 12 Oct 2025, 12:34 pm
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उत्तर प्रदेश में केला खाने के शौकीन लोगों के लिए चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां ऐसा केला सप्लाई किया जा रहा है, जो केमिकल में डुबोकर बाहर निकालते ही पक जाता है। अत्यधिक केमिकल इस्तेमाल कर पकाया जाने वाला केला बेहद नुकसानदायक है। आइये पूरा मामला जानते

अगर आप यूपी से हैं और केले खाने के शौकीन हैं तो ये खबर आपके लिए है। यह खबर जानकर शायद आप केला खाना छोड़ दें। दरअसल गोरखपुर में कच्चे केले को खतरनाक केमिकल से कुछ ही घंटों में पकाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने शनिवार को कार्रवाई करते हुए ऐसे करीब 400 किलो केले को जब्त कर नष्ट कराया है। जांच के दौरान केला पकाने वालों ने स्वीकार किया है कि वह केमिकल के घोल में केले को डुबोकर 8-10 घंटे में पकाते हैं। जो हिस्सा हरा रह जाता है, उस पर पीला रंग लगा देते हैं और फिर थोक बाजार में बेच देते हैं। टीम की जांच में पाया गया है कि ज्यादा मात्रा में रासायनिक घोल और रंग का उपयोग किया जा रहा है। विभाग ने इसे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक बताते हुए केले को सड़क किनारे नष्ट करा दिया। अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ गोरखपुर ही नहीं, बल्कि यूपी के अन्य जिलों में भी इसी तरह का तरीका अपनाया जा रहा है।


दरअसल केला पकाने के लिए “इथेफॉन” (Ethephon) नाम के रसायन का उपयोग किया जाता है, जो पानी में घोलकर केले को जल्दी पकाने में मदद करता है। सामान्यतः इस प्रक्रिया में 24 से 48 घंटे का समय लगता है। हालांकि व्यापारी अधिक मुनाफा कमाने के लिए इसकी मात्रा कई गुना बढ़ा देते हैं, जिससे केला केवल 8-10 घंटे में ही पक जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक एक किलो केला पकाने के लिए अधिकतम 100 मिलीग्राम केमिकल पर्याप्त है, लेकिन इससे अधिक मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। नवरात्रि के दौरान केले की मांग बढ़ने से इस अवैध तरीके का प्रयोग बड़े पैमाने पर हुआ है। दुकानदारों के मुताबिक आम दिनों की तुलना में उस दौरान 4 से 5 गुना अधिक केले बिके। ऐसे में तेजी से सप्लाई पूरी करने के लिए केमिकल से पकाने का खेल धड़ल्ले से चला। दावा है कि सुबह हरे दिखने वाले केले दोपहर तक पीले और रात तक गलने लगते थे। 


खाद्य सुरक्षा विभाग ने बताया कि कुछ पैकेटों पर “इथेफॉन” लिखा था, लेकिन जांच में उसमें कोई और रसायन मिला। अब नमूनों को विस्तृत जांच के लिए लैब भेजा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि केले को नेचुरल तरीके से पकाने में 3 से 4 दिन लगते हैं। पेड़ से तोड़ने के बाद इसे ठंडे और सूखे स्थान पर रखा जाता है या कुछ पके केलों के साथ लपेटकर रखा जाता है। यह तरीका सुरक्षित और स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह लाभदायक होता है।


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