बाबा रामदेव को हाई कोर्ट से तगड़ा झटका! अब नहीं कर पाएंगे ये काम

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 03 Jul 2025, 01:26 pm
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बाबा रामदेव

बाबा रामदेव को गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट से करारा झटका लगा है। कोर्ट ने पतंजलि को निर्देश दिया है कि वह डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भी नकारात्मक या भ्रामक विज्ञापन नहीं दिखाएंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने डाबर इंडिया की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। डाबर ने आरोप लगाया था कि पतंजलि अपने विज्ञापनों के जरिए उनके प्रोडक्ट की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है और उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रहा है। डाबर की ओर से कहा गया कि च्यवनप्राश एक पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के प्रावधानों के तहत नियमानुसार तैयार किया जाता है। ऐसे में किसी ब्रांड को “सामान्य” कहकर छोटा दिखाना अनुचित और भ्रामक है।


बाबा रामदेव अब नहीं कर पाएंगे ये काम

इस याचिका पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। फिलहाल कोर्ट ने पतंजलि को ऐसे किसी भी विज्ञापन को प्रसारित करने से रोका है, जिसमें कुछ विवाद की संभावना हो। डाबर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कोर्ट में पक्ष रखा, जबकि पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर और जयंत मेहता पेश हुए। डाबर ने दावा किया कि पतंजलि के विज्ञापन में उनके च्यवनप्राश को 'सामान्य' और 'आयुर्वेद से दूर' बताया गया है। विज्ञापन में स्वयं स्वामी रामदेव यह कहते दिखाई देते हैं कि जिन्हें वेदों और आयुर्वेद का ज्ञान नहीं है, वह पारंपरिक च्यवनप्राश कैसे बना सकते हैं। इसको लेकर डाबर ने आपत्ति जताई है।


बाबा ने डाबर को पहुंचाया तगड़ा नुकसान

डाबर ने अदालत में कहा कि पतंजलि का यह विज्ञापन उनके ब्रांड की साख को नुकसान पहुंचा रहा है और उपभोक्ताओं को गुमराह कर रहा है। डाबर च्यवनप्राश को 40 से अधिक औषधीय जड़ी-बूटियों से युक्त उत्पाद के रूप में प्रचारित करता है और उसका दावा है कि बाजार में च्यवनप्राश की 60% से अधिक हिस्सेदारी डाबर के पास है। डाबर ने यह भी कहा कि पतंजलि के विज्ञापन इस तरह के संकेत देते हैं कि अन्य ब्रांड के उत्पाद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पतंजलि पूर्व में भी इसी तरह के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना के मामलों में घिर चुका है।


शरबत जिहाद वाले बयान से भी सुर्खियों में रहे बाबा

यह मामला कोई पहला मौका नहीं है जब बाबा रामदेव या पतंजलि के विज्ञापन विवादों में आए हों। कुछ महीने पहले उन्होंने पतंजलि के शरबत की लॉन्चिंग के दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया था, जिसमें एक ब्रांड पर आरोप लगाया था कि उनके शरबत की कमाई से मदरसे और मस्जिदें बनाई जाती हैं। उन्होंने इस बयान को “शरबत जिहाद” करार दिया था। इस पर रूह अफजा शरबत बनाने वाली कंपनी हमदर्द ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इसे धर्म के आधार पर हमला बताया। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह बयान माफी के लायक नहीं है और इससे कोर्ट की अंतरात्मा झकझोर गई है। इसके बाद बाबा रामदेव ने आश्वासन दिया कि वे ऐसे सभी वीडियो हटा लेंगे जिनमें धार्मिक टिप्पणियां की गई हैं। कोर्ट ने रामदेव को इस पर शपथ पत्र दाखिल करने का भी आदेश दिया है।


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