कोरोना को लेकर रिसर्च में बड़ा खुलासा! अब ये नई बात आई सामने..

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 02 Jul 2025, 07:06 pm
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कोरोना के बाद से देश में लोगों की अचानक होने वाली मौत का आंकड़ा बढ़ गया है। चलते-फिरते या फिर कुछ करते समय लोगों की मौत हो रही है। इसकोे लेकर रिसर्च में एक नया खुलासा हुआ है। आइये खबर में पूरा अपडेट जानते हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) की एक स्टडी में बड़ा खुलासा हुआ है। इस रिसर्च में यह स्पष्ट किया गया है कि देश में अचानक होने वाली मौतों का कोरोना वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है। यह अध्ययन 18 से 45 वर्ष की आयु के उन लोगों पर लोगों केंद्रित था, जिनकी मौत अचानक हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस रिपोर्ट की जानकारी एक प्रेस रिलीज के माध्यम से बुधवार को दी है। इसमें कहा गया है कि भारत में इस्तेमाल की गई कोविड वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी हैं। इनसे जुड़ी गंभीर जटिलताएं बहुत कम पाई गई हैं।


स्टडी में यह भी बताया गया कि अचानक मौतों के पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे आनुवंशिक कारक, जीवनशैली, पहले से मौजूद बीमारियां और कोविड के बाद के जटिल प्रभाव। भारत में मुख्य रूप से दो कोविड वैक्सीन विकसित की गई थीं। इसमें कोवैक्सिन और कोवीशील्ड शामिल हैं। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक और ICMR ने मिलकर तैयार किया था, जबकि कोवीशील्डको सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका की मदद से बनाया था। ICMR और NCDC अचानक मौतों की वजहों को बेहतर तरीके से समझने के लिए दो अलग-अलग स्टडीज कर रहे हैं। पहली स्टडी में पहले से मौजूद डेटा का विश्लेषण किया गया, जबकि दूसरी स्टडी रियल टाइम इन्वेस्टिगेशन पर आधारित है। पहली स्टडी को ICMR के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी ने मई 2023 से अगस्त 2023 के बीच 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में किया। इसमें यह निष्कर्ष निकला कि कोविड वैक्सीन से अचानक मौत का जोखिम नहीं है।


दूसरी स्टडी एम्स और ICMR द्वारा की जा रही है। इसका उद्देश्य युवाओं की अचानक मौत के कारणों का पता लगाना है। शुरुआती नतीजों के अनुसार इस उम्र वर्ग में अचानक मौत का मुख्य कारण दिल का दौरा यानी मायोकार्डियल इंफार्क्शन (MI) पाया गया है। स्टडी में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में अचानक मौत के कारणों के पैटर्न में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। अधिकतर मामलों में मौत का कारण जेनेटिक म्यूटेशन पाया गया है। यह स्टडी अभी जारी है और इसके पूरे होते ही इसे जनता से साझा किया जाएगा।

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