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Hindi Now Uttar Pradesh • 07 Aug 2025, 01:25 pm
अवैध धर्मांतरण के आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को संरक्षण देने वालों की सूची अब एटीएस के हाथ लग चुकी है। जांच में बलरामपुर जिले में तैनात रहे पांच अधिकारियों और कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। इनमें दो अधिकारी अन्य जिलों में स्थानांतरित हो चुके हैं, जबकि दो अब भी सेवा में हैं। एक कर्मचारी को एटीएस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। बलरामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद सिंह द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट में भी स्थानीय पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।
सूत्रों के मुताबिक एटीएस ने इन अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यकाल के दौरान दर्ज हुए मुकदमों, भूमि विवादों और छांगुर के नेटवर्क से जुड़े लोगों को मिली सरकारी सुविधाओं की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। बलरामपुर से कई फाइलें लखनऊ मंगाई गई हैं। जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि छांगुर को कानूनी सुरक्षा दिलाने में इन अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इनमें से दो अधिकारियों की संपत्ति की भी जांच की जा रही है, जो उनकी घोषित आय से कहीं अधिक पाई गई है। इनमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं।
जिलाधिकारी की रिपोर्ट में खुलासा
2024 में बलरामपुर के डीएम रहे अरविंद सिंह ने शासन को भेजी गई रिपोर्ट में उतरौला, गैड़ास बुजुर्ग और सादुल्लानगर थानों की भूमिका पर आपत्ति जताई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि धर्मांतरण जैसे गंभीर मामलों में इन थानों द्वारा प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। कई मामले जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। शिकायतें समय पर दर्ज नहीं की गईं और आरोपियों के साथियों को बचाने की कोशिशें हुईं। अब एटीएस की जांच में जब इन्हीं थानों के अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हुई है, तो डीएम की रिपोर्ट और भी प्रासंगिक हो गई है।
छांगुर से जुड़ा थानेदार ने खरीदी करोड़ों की जमीन
खुलासा यह भी हुआ है कि जिस थानेदार की छत्रछाया में छांगुर फला-फूला, उसने लखनऊ में करोड़ों की जमीन खरीदी। उतरौला में छांगुर ने 2010 से अपने पांव जमाने शुरू किए थे और एक चर्चित कोतवाल ने उसे हरसंभव सहयोग दिया। उस दौरान आरोपी को जमीनों और मकानों पर कब्जा दिलाया गया। बदले में छांगुर ने खुले हाथ से पैसे लुटाए। इसी समय उस कोतवाल ने इकाना स्टेडियम के पास 15,000 स्क्वायर फीट जमीन खरीदी, जिसकी मौजूदा कीमत छह करोड़ रुपये के करीब आंकी गई है।
चारों संदिग्धों से जल्द होगी पूछतांछ
एटीएस इन चार अधिकारियों से जल्द पूछताछ करेगी। उनके बयान दर्ज कर रिपोर्ट गृह विभाग को भेजी जाएगी। यदि दोष सिद्ध होता है, तो सेवा में मौजूद दो अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जा सकती है।
संदिग्धों पर उठ रहे ये सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब छांगुर जैसे गंभीर मामले में उस कोतवाल का नाम सामने आया, तब भी पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? अब जब एटीएस की जांच ने पूरे नेटवर्क की परतें उधेड़नी शुरू की हैं, वही कोतवाल धार्मिक आस्थाओं का सहारा लेते हुए रोज देवीपाटन मंदिर में माथा टेक रहा है।
छांगुर के गठजोड़ की खुली परतें
बलरामपुर पुलिस और छांगुर के गठजोड़ की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं, लेकिन पूर्व डीएम की रिपोर्ट अभी भी शासन की फाइलों में दबकर धूल फांक रही है। विशेष लोक अभियोजक धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट में पुलिस और अपराधियों की सांठगांठ को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए थे, लेकिन वह भी अनसुनी रह गई। इन दोनों रिपोर्टों में बलरामपुर की संवेदनशील स्थिति और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की झलक मिलती है, जो किसी बड़े खतरे का संकेत दे रही है।
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