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Hindi Now Uttar Pradesh • 07 Aug 2025, 12:12 pm
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली में एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान अमेरिकी टैरिफ का जिक्र किए बिना ट्रंप को जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों का हित देश के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है और भारत उनके साथ कभी भी कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि वे जानते हैं कि इस रुख के कारण उन्हें व्यक्तिगत रूप से भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन वे इसके लिए तैयार हैं।
प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कृषि और अन्य उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। अमेरिका चाहता है कि उसे भारतीय कृषि और डेयरी सेक्टर में प्रवेश मिले, लेकिन भारत ने इस मांग को अब तक स्वीकार नहीं किया है। अमेरिका की योजना के तहत 7 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% टैक्स लगाया जाएगा। इससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे और उनकी मांग घट सकती है। अमेरिका के इंपोर्टर्स फिर अन्य देशों से विकल्प तलाश सकते हैं।
भारत से क्या चाहता है अमेरिका?
भारत और अमेरिका के बीच मुख्य टकराव कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर है। अमेरिका चाहता है कि उसके डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर और घी भारत में खुले बाजार में बिक सकें। उनका तर्क है कि ये उत्पाद स्वच्छ, गुणवत्तापूर्ण और भारत में सस्ते पड़ेंगे। लेकिन भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और यहां लाखों छोटे किसान इस उद्योग से जुड़े हुए हैं। यदि अमेरिकी उत्पाद बाजार में आएंगे तो भारतीय डेयरी किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अमेरिका के डेयरी प्रोडक्ट्स में जानवरों की हड्डियों का इस्तेमाल
इसके अलावा भारत में शाकाहारी दूध उत्पादों की मांग अधिक है, जबकि अमेरिकी डेयरी उत्पादों में कई बार जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम जैसे रैनेट का उपयोग होता है। भारत सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और साफ किया है कि आयातित उत्पाद पूरी तरह शाकाहारी होने चाहिए।
भारत में कम टैक्स पर अपनी खाद्य सामग्री बेचना चाहता है अमेरिका
अमेरिका गेहूं, चावल, सोयाबीन, मक्का और फलों जैसे सेब व अंगूर को भारत में कम टैक्स पर बेचना चाहता है और चाहता है कि भारत इम्पोर्ट ड्यूटी कम करे। इसके अलावा अमेरिका जैव-प्रौद्योगिकी आधारित (GMO) फसलों को भी भारत में बेचने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत सरकार और किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर भारत का रुख स्पष्ट है कि वह अपने किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा।
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