यूपी में गरीबों का राशन खा रहीं नगर पंचायत अध्यक्ष, मामला जान चौंक जाएंगे आप!

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 18 Sep 2025, 12:58 pm
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उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां रनियां नगर पंचायत अध्यक्ष के पास गाड़ी, बंगला सबकुछ होते हुए भी राशन कार्ड बनवाकर गरीबों का राशन ले रही हैं। आइये पूरा मामला जानते हैं।

कानपुर देहात के रनियां नगर पंचायत की अध्यक्ष बिटान दिवाकर इन दिनों विवादों में हैं। उनके नाम पात्र गृहस्थी राशन कार्ड है, जबकि वे बोलेरो से चलती हैं और बेटे के नाम पर महंगी थार गाड़ी है। इतना ही नहीं उनके पास दो मंजिला आलीशान मकान और तमाम प्रॉपर्टी है। इसके बावजूद वे गरीबी रेखा से ऊपर नहीं निकलीं और अब भी फ्री का राशन ले रही हैं। जब इस मामले पर सवाल उठे तो उन्होंने इसे विपक्षी चेयरमैन होने के नाते सत्ता दल की ओर से उत्पीड़न करार दिया है।


नगर पंचायत अध्यक्ष होने के नाते बिटान दिवाकर की जिम्मेदारी है कि वे सरकारी योजनाएं आम जनता तक पहुंचाएं, लेकिन वह खुद ही योजनाओं का अनुचित लाभ लेने में जुटी हैं। उनके पात्र गृहस्थी कार्ड संख्या 216340539379 पर पति राजकिशोर, बेटी प्रियंका और बेटे जितेंद्र व दीपेंद्र के नाम दर्ज हैं। दिलचस्प बात यह है कि परिवहन विभाग के रिकॉर्ड में बेटे जितेंद्र के नाम पर थार कार दर्ज है, जबकि वे पक्के दो मंजिला मकान में रहती हैं। चेयरमैन अक्सर बोलेरो से सफर करती हैं, जो उनके जेठ के नाम पर है। इसके अलावा एक महंगी दोपहिया वाहन भी उनके परिवार के पास है।


राशन कार्ड के मानकों के अनुसार जिन परिवारों के पास चारपहिया वाहन, पक्का बहुमंजिला मकान या महंगे सामान होते हैं, वे पात्र गृहस्थी श्रेणी में नहीं आते हैं। इसके बावजूद उनके कार्ड की जांच नहीं हुई और वे पांच यूनिट का फ्री राशन लेती रहीं हैं। हाल ही में विभाग ने ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी की, तब यह मामला सामने आया। इस पर बिटान दिवाकर का कहना है कि उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।


क्या कहते हैं अधिकारी?

जिला पूर्ति अधिकारी अभिषेक कुमार ने बताया कि राशन कार्ड बनाने में 10 मानक तय हैं। यदि परिवार के पास चारपहिया वाहन है और फिर भी राशन लिया जा रहा है तो यह गलत है। बेटे के नाम पर कार दर्ज होने के बाद नाम हटाना चाहिए था। वर्तमान में रनियां में राशन कार्डों का सत्यापन चल रहा है और इस मामले में अलग से जांच की जाएगी। वहीं बिटान दिवाकर का कहना है कि उन्हें यह तक नहीं पता कि उनके कार्ड पर राशन आता भी है या नहीं। थार गाड़ी के बारे में उन्होंने सफाई दी कि यह बेटे की शादी में मिली थी और असल में बहू की है, लेकिन नाम बेटे के नाम दर्ज कराना पड़ा। फिलहाल अब देखना यह होगा कि जांच के बाद विभाग क्या कार्रवाई करता है।


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