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Hindi Now Uttar Pradesh • 29 Sep 2025, 12:17 pm
आगरा में साइबर ठगों ने ईडी और आयकर अधिकारी बनकर 80 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एच.सी. नितांत से सात दिन तक शातिराना तरीके से 23 लाख रुपये की ठगी की। आरोपियों ने उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” में होने की झूठी सूचना देकर रोजाना एक-एक घंटे कॉल पर डराया-धमकाया और बैंक के एफडी का पैसा निकालवाकर अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया। पीड़ित ने अंत में साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई और पुलिस से मदद की गुहार लगाई। अब पुलिस साइबर अपराधियों के उन खातों की जानकारी जुटा रही है जिनमें रकम भेजी गई है।
ट्रांस यमुना स्थित श्रीनगर कॉलोनी निवासी डॉ. नितांत भारतीय कृषि अनुसंधान में प्रधान वैज्ञानिक रहे हैं और करीब 18 साल से सेवानिवृत्त हैं। घटना 10 सितंबर की सुबह तब शुरू हुई, जब उनके व्हाट्सएप पर एक कॉल आया और कॉल करने वाले ने अपना नाम अजय पाटिल बताते हुए खुद को प्रवर्तन निदेशालय का अधिकारी बताया। फोन करने वाले ने कहा कि मुंबई की एक बैंक शाखा में उनके नाम से खुला खाता बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह से जुड़ी रकम की वजह से नोटिस में आया है और खाते में लगभग 30 करोड़ का अवैध लेनदेन दर्ज हुआ है। आरोपियों ने बताया कि खाते में से कुछ रकम पहले ही निकाल ली गई है और बची हुई राशि उनके नाम के साथ नोटिस में दर्ज है, वरना उन्हें जेल भेजा जा सकता है।
आयकर अधिकारी बताकर लूट लिए पैसे
पहली कॉल में ही पीड़ित का नाम आरोपियों की एफआईआर में जुड़ने का डर दिखाकर भय पैदा किया गया। अगले दिन यानी 11 सितंबर को फिर कॉल आई, इस बार कॉल करने वाले ने खुद को आयकर अधिकारी बताया और कहा कि किसी भी समय आपके घर पर छापेमारी हो सकती है। आरोपियों ने विश्वास दिलाने के लिए अपना एक आधार कार्ड व्हाट्सएप पर भेजने को कहा, जिसे देखकर डॉ. नितांत का भरोसा जागा और वह आगे की बातों में उलझते गए। आरोपियों ने खाते की और जानकारी पूछकर संपर्क जारी रखा और सात दिनों तक सुबह लगभग नौ बजे रोज कॉल कर घंटों धमकी देते रहे। किसी को बताने पर बदनामी व गिरफ्तारी की धमकी दी जाती थी, जिस कारण उन्होंने किसी को कुछ नहीं बताया।
23 लाख की एफडी तुड़वाकर दिए पैसे
डर और दबाव में आकर डॉ. नितांत ने बताया कि उनकी 23 लाख रुपये की एफडी है। आरोपियों के निर्देश पर 17 सितंबर को उन्होंने बैंक जाकर एफडी खुलवाई और रकम खाते में ट्रांसफर करवाई। इसके बाद आरोपियों ने स्मार्ट तरीके से उसे आरटीजीएस से अपने खाते में निकाल लिया। रकम चली जाने के बाद 18 सितंबर को उन्होंने अपने बेटे को घटना बताई तो उसे आभास हुआ कि यह साइबर ठगी है और तब जाकर शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोपियों द्वारा उपयोग किए गए खातों की पहचान कर रही है।
आप ऐसे करें अपना बचाव
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने स्पष्ट किया कि कोई भी सरकारी एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। कॉल पर नोटिस या गिरफ्तारी की सूचना मिले तो समझ लें कि ठगी की कोशिश है। ऐसे में कॉल काट दें और न तो कोई आर्थिक लेनदेन करें, न ही व्यक्तिगत बैंक जानकारी साझा करें। मदद चाहिए तो नजदीकी पुलिस स्टेशन या 112/1090 पर शिकायत दर्ज कराएं।
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