सावन का अंतिम सोमवार और बाढ़ में डूबे गंगा घाट, श्रद्धालुओं के स्नान के लिए अनूठी पहल, जानकर खुश हो जाएंगे आप

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 03 Aug 2025, 06:50 pm
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उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सावन के अंतिम सोमवार को कांवड़ियों और श्रद्धालुओं के लिए गंगा स्नान की एक अनूठी व्यवस्था की है। बाढ़ में डूबे गंगा घाटों की वजह से प्रशासन ने यहां बेहतरीन इंतजामात किए हैं। आइये पूरी खबर जानते हैं।

सावन माह के अंतिम सोमवार को लेकर श्रद्धालुओं में गंगा स्नान को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है। इसको लेकर गंगा घाटों पर रविवार से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी है। परेशानी की बात यह है कि भारी बारिश के चलते गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है और गंगा घाट पूरी तरह से डूब गए हैं। हर जगह बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। इसको लेकर गाजीपुर जिला प्रशासन ने कांवड़ियों और श्रद्धालुओं के स्नान को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए  श्रद्धालुओं के लिए अनोखा कदम उठाया है। 


गाजीपुर के ददरीघाट पर जिला प्रशासन ने गंगा नदी में समरसेबल पंप लगाकर घाट के ऊपर नल और झरनों की व्यवस्था की है, जिससे श्रद्धालु गंगाजल से स्नान कर सकें। इस व्यवस्था के तहत दो बड़ी पानी की टंकियां भी लगाई गई हैं, जिनमें पंप के माध्यम से शुद्ध गंगाजल भरा जा रहा है। घाट पर लगाए गए इन नलों से श्रद्धालु बिना गंगा में उतरे ही स्नान कर पा रहे हैं। जिला प्रशासन ने घाट क्षेत्र को पूरी तरह बैरिकेड कर दिया है, ताकि श्रद्धालु गंगा के जल में उतरने की कोशिश न करें। लगातार हो रही बारिश के बीच भी सीआरओ आयुष चौधरी, एसपी सिटी ज्ञानेंद्र नाथ प्रसाद, एसडीएम सदर मनोज कुमार पाठक और नगर पालिका के ईओ मौके पर मौजूद रहकर व्यवस्थाओं की निगरानी करते देखे गए। अधिकारियों ने छाता लेकर बरसात के बीच घाटों का दौरा किया और सुनिश्चित किया कि कहीं कोई असुविधा न हो।


मुख्य राजस्व अधिकारी आयुष चौधरी ने बताया कि प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। सावन के अंतिम सोमवार को भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए यह व्यवस्था पहले से की गई है। स्नान के लिए बनाए गए इन झरनों और टोटियों से श्रद्धालुओं को न केवल गंगाजल में स्नान का अनुभव मिल रहा है, बल्कि उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित हो रही है। गाजीपुर प्रशासन के इस अनोखे प्रयोग की श्रद्धालु सराहना कर रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि डूबे हुए घाटों में उतरने की बजाय झरने जैसी इस नई सुविधा से उन्हें आसानी हुई है। साथ ही किसी भी हादसे की आशंका भी टल गई है। 


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