यूपी की गद्दी पर मायावती पर नजर, आज मुस्लिम नेताओं के साथ बड़ी बैठक, सभी जिलाध्यक्षों समेत 400 पदाधिकारी हुए शामिल!

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 29 Oct 2025, 01:31 pm
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उत्तर प्रदेश में 2027 के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सभी दल एक्टिव हो गए हैं। इस समय सबसे ज्यादा एक्टिव मायावती दिख रही हैं। वह लगातार बैठक पर बैठक कर रही हैं। आज उन्होंने मुस्लिम वोट साधने के लिए 36 मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की है। उनके अलावा 400 से

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती बुधवार को पूरी तरह एक्शन मोड में नजर आईं। उन्होंने पहली बार प्रदेश के मुस्लिम नेताओं के साथ बड़ी बैठक की, जिसमें उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों से आए लगभग 450 नेता शामिल हुए। बैठक में मायावती के साथ उनके भतीजे आकाश आनंद और सतीश चंद्र मिश्रा भी मौजूद रहे। मंच पर पहुंचते ही आकाश आनंद ने मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। बैठक लखनऊ स्थित बसपा कार्यालय के मुख्य हॉल में हुई, जहां मायावती ने बंद कमरे में करीब डेढ़ घंटे तक रणनीति पर चर्चा की। खास बात यह रही कि इस मीटिंग में बसपा के वरिष्ठ नेता पिछली कतारों में बैठे थे, जबकि मुस्लिम नेता पहली पंक्ति में स्थान दिए गए। यह बदलाव मायावती के नए राजनीतिक संदेश और मुस्लिम समाज के प्रति पार्टी की सक्रियता का संकेत माना जा रहा है।


मायावती ने हाल के दिनों में लगातार अपनी एक्टिविटी बढ़ाई है। यह एक महीने में उनकी चौथी बड़ी बैठक थी। इससे पहले 9 अक्टूबर को उन्होंने एक विशाल रैली की थी। 16 और 19 अक्टूबर को दो बैठकों में 400-400 नेताओं के साथ संगठनात्मक रणनीति पर मंथन किया था। 25 अक्टूबर को उन्होंने “मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन” का गठन किया था और महज चार दिन बाद इस संगठन के साथ पहली बड़ी बैठक की। बैठक में 75 जिला अध्यक्ष, 90 कोऑर्डिनेटर, 36 मुस्लिम भाईचारा कमेटी के अध्यक्ष और 36 बसपा कोर कमेटी के पदाधिकारी मौजूद रहे। मायावती ने मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) को लेकर विस्तार से चर्चा की और संगठन को बूथ स्तर तक सक्रिय करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में बसपा समर्थकों के नाम सही ढंग से दर्ज कराए जाएं और नए मतदाताओं को पार्टी से जोड़ा जाए।


मायावती की बढ़ती सक्रियता से बसपा कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। जालौन से आए एक समर्थक ने कहा कि प्रदेश की जनता अब फिर से मायावती को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। सभी दलों की सरकारें देख लीं, लेकिन जैसा प्रशासन और विकास मायावती ने दिया, वैसा कोई नहीं दे सका। यह बैठक इसलिए भी ऐतिहासिक रही, क्योंकि बसपा गठन के बाद पहली बार मायावती ने मुस्लिम भाईचारा कमेटी की सीधी अध्यक्षता की। पहली बार कमेटी और मुख्य संगठन के पदाधिकारी एक साथ एक मंच पर जुटे, जिससे पार्टी के भीतर नए राजनीतिक समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं।

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