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Hindi Now Uttar Pradesh • 28 Jun 2025, 11:39 am
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर करीब एक साल से चल रहा इंतजार अब खत्म होने वाला है। संभावना है कि जल्द ही पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है। यह नियुक्ति 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले हो जाएगी। इसके अलावा कई राज्यों में भी अध्यक्षों की नियुक्ति की मंशा है। पार्टी ने जुलाई के पहले सप्ताह में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और कर्नाटक सहित लगभग एक दर्जन राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की योजना बनाई है। इसको लेकर राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी डॉ. के लक्ष्मण ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा, किरेन रिजिजू और सांसद रविशंकर प्रसाद को उत्तराखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 37 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से कम से कम 19 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव होना अनिवार्य है, लेकिन अब तक यह प्रक्रिया सिर्फ 14 राज्यों में पूरी हो पाई है। इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए आवश्यक निर्वाचक मंडल का गठन भी अधूरा है, क्योंकि यह मंडल राष्ट्रीय और राज्य परिषदों से बनता है, जिनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और कर्नाटक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इन राज्यों के संगठनात्मक चुनाव और परिषद के गठन के बिना निर्वाचक मंडल तैयार करना संभव नहीं है। यानी राज्यों को नए अध्यक्ष मिलने के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व का चुनाव किया जाएगा।
दलित या दक्षिण भारत से हो सकता है नया राष्ट्रीय अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश को लेकर पार्टी नेतृत्व विशेष रूप से चिंतित है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में यहां पार्टी को झटका लगा है। ओबीसी वोट बैंक के खिसकने और बसपा की कमजोरी के चलते सपा-कांग्रेस को लाभ मिलने की आशंका के बीच भाजपा नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ व्यापक रणनीति तैयार कर रही है। साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर यह अटकलें भी तेज हो गई हैं कि पार्टी इस बार दलित समुदाय या दक्षिण भारत से जुड़े नेता को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है। विपक्ष की ओर से आरक्षण और संविधान से जुड़ी आलोचनाओं का जवाब देने के लिए भी भाजपा इस सिंबोलिक नियुक्ति पर विचार कर रही है।
नया मुखिया मिलने के बाद संगठन में बड़े बदलाव की योजना
नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद भाजपा संगठन में बड़े बदलाव करने की योजना पर काम कर रही है। इसमें राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम के 60 से 70 फीसदी चेहरों को बदला जाएगा ताकि युवाओं, महिलाओं और विभिन्न सामाजिक वर्गों को संगठन में बेहतर प्रतिनिधित्व मिल सके। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, इन बदलावों की आंच संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति तक भी पहुंच सकती है, जिससे संगठन को एक नया रूप देने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
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