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Hindi Now Uttar Pradesh • 21 Jun 2025, 06:50 pm
2025 में अमेरिकी राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाया। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर उनकी मध्यस्थता की वजह से संभव हुआ है। उन्होंने खुद को शांति का दूत बताते हुए कहा कि वो दोनों देशों को करीब लाना चाहते हैं। लेकिन भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने स्पष्ट कर दिया कि यह सीजफायर भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच आपसी बातचीत से हुआ था, अमेरिका की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। भारत की नीति हमेशा से यही रही है कि कश्मीर और भारत-पाक संबंध द्विपक्षीय मुद्दे हैं और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है।
इस घटनाक्रम के बाद ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका आने का न्योता दिया, ताकि G7 समिट के बाद वो भारत-पाक को एक मंच पर लाकर अपनी भूमिका को प्रचारित कर सकें। लेकिन मोदी ने यह न्योता ठुकरा दिया। अगर मोदी इस न्योते को स्वीकार करते, तो भारत में विपक्ष उन्हें घेर सकता था और यह संदेश जाता कि भारत ने कश्मीर पर अमेरिकी दखल मान ली। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का मकसद अपनी वैश्विक छवि मजबूत करना था। उन्होंने पहले भी भारत पर टैरिफ को लेकर दबाव बनाने की कोशिश की थी। 2024 में भारत द्वारा अमेरिकी सामान पर 20% टैरिफ बढ़ाने के बाद ट्रंप ने जवाबी कार्रवाई की बात कही थी।
लेकिन भारत ने भी जवाब दिया। 2025 में भारत ने अमेरिका से आयातित कई वस्तुओं पर 15% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिससे अमेरिकी कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ। भारत ने रूस और सऊदी अरब से तेल आयात बढ़ाकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत की। ट्रंप की आसिम मुनीर से मुलाकात भारत में भी राजनीतिक विवाद का कारण बनी। सोशल मीडिया पर #BoycottTrump ट्रेंड करने लगा। लोगों ने सवाल उठाया कि क्या ट्रंप भारत की विदेश नीति को कमजोर करना चाहते हैं? प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप की योजना को भांप लिया और कूटनीतिक सूझबूझ से पूरा खेल पलट दिया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी दोहराया कि कश्मीर पूरी तरह द्विपक्षीय मसला है, और 57 देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया। इस पूरी घटनाक्रम से एक बात साफ हो गई—भारत अब किसी भी दबाव में आने वाला नहीं है। मोदी सरकार ने अपने ठोस स्टैंड और कूटनीतिक चतुराई से ट्रंप की चाल को नाकाम कर दिया।