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Hindi Now Uttar Pradesh • 11 Jul 2025, 11:59 am
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने सावन महीने के पहले दिन शुक्रवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में श्रद्धा और भक्ति के साथ रुद्राभिषेक किया है। इस दौरान उन्होंने हवन-पूजन भी किया है। सीएम योगी ने भगवान शिव से मन्नत भी मांगी है। उन्होंने समस्त जीव-जगत के कल्याण और प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि मनोकामना की है। मुख्यमंत्री योगी ने यह अनुष्ठान गोरखनाथ मंदिर परिसर में अपने आवास के पहले तल पर स्थित शक्तिपीठ में किया। भगवान भोलेनाथ को उन्होंने बेलपत्र, दुर्वा, मदार पत्र, कमल पुष्प और अन्य पूजन सामग्रियां अर्पित कीं। इसके बाद विधि-विधान से जल, दूध और फलों के रस से रुद्राभिषेक किया। यह पूरा अनुष्ठान मठ के आचार्यगण और पुरोहितों द्वारा वैदिक रीति से संपन्न कराया गया, जिसमें शुक्ल यजुर्वेद संहिता के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का उच्चारण किया गया।
रुद्राभिषेक के बाद योगी आदित्यनाथ ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अग्निहोत्र किया। हवन की इस प्रक्रिया को पूरी निष्ठा और विधि-विधान से संपन्न किया गया। इस पावन अवसर पर उन्होंने सभी नागरिकों के आरोग्य, सुख, समृद्धि और शांति के लिए मंगलकामना की। मुख्यमंत्री का यह धार्मिक आयोजन सावन मास में भगवान की अराधना के लिए प्रेरित करता है। इससे उनके आध्यात्मिक जीवन और जनता के कल्याण के प्रति समर्पण की झलक भी देखने को मिलती है। भगवान शिव की उपासना और रुद्राभिषेक को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है, खासकर सावन के महीने में जो शिव भक्ति के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर पूरे विधि-विधान और भक्ति भाव से शिव आराधना कर यह संदेश दिया कि श्रद्धा, आस्था और साधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्राप्त होती है। उनके द्वारा किए गए अनुष्ठान में प्रदेश और देश के कल्याण की भावना स्पष्ट रूप से देखने को मिली। गोरखनाथ मंदिर परिसर में यह धार्मिक आयोजन पूरी गरिमा के साथ संपन्न हुआ, जिसमें वैदिक संस्कृति, धार्मिक परंपरा और आध्यात्मिक अनुशासन का सुंदर समागम देखने को मिला। इस अवसर पर मंदिर परिसर में शांतिपूर्ण वातावरण और भक्तिमय माहौल रहा। अनुष्ठान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई स्थानीय नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे। सीएम के साथ सभी ने भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की।
काशी में मंगला आरती से हुई सावन के पहले दिन की शुरुआत
काशी में सावन माह की शुरुआत भगवान विश्वनाथ की मंगला आरती से हुई। इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा एक नया नवाचार आरंभ किया गया। यह पहल मंडलायुक्त और मंदिर न्यास की कार्यपालक समिति के अध्यक्ष एस. राजलिंगम की प्रेरणा से की गई। पहले सावन सोमवार और महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का फूलों से स्वागत होता था, लेकिन इस वर्ष श्रावण का पहला दिन शुक्रवार पड़ने के कारण यह नवाचार शुक्रवार को ही संपन्न किया गया। मंदिर परिसर में भगवान विश्वनाथ, दंडपाणि और बैकुण्ठेश्वर के शिखरों के सामने श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई। फिर मुख्य गर्भगृह से बद्रीनारायण मंदिर तक हरि-हर की परंपरा का प्रतीक स्वरूप पुष्पवर्षा के साथ दूसरा चरण पूरा हुआ। अंतिम चरण में माता अन्नपूर्णा को तीन पुष्प थाल अर्पित किए गए। ये पुष्प पत्रदल पूरे दिन भक्तों को प्रसाद स्वरूप बांटे गए। सनातन परंपरा में शुक्रवार मातृशक्ति की उपासना का दिन माना जाता है, इसीलिए यह आयोजन विशेष रूप से माता को समर्पित रहा। शैव परंपरा के तीनों प्रतीकों त्रिपुंड, त्रिशूल और त्रिदल बेलपत्र को ध्यान में रखते हुए यह नवाचार सम्पन्न हुआ। आयोजन में मंदिर न्यास के अधिकारीगण उपस्थित रहे।
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