शव के साथ डॉक्टरों ने जो किया, जानकर उड़ जाएंगे आपके होश, हद हो गई!

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 09 Jul 2025, 03:05 pm
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अस्पताल के बाहर जुटी लोगों की भीड़, मामले की जांच करती पुलिस

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई है। यहां गौहनिया रेलवे क्रॉसिंग के पास स्थित एक निजी अस्पताल पर मरने के बाद पैसों के लिए लाश का इलाज करने का गंभीर आरोप लगा है। इसको लेकर परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया है। मरीज के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर लापरवाही और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मरीज को 4 दिन तक आईसीयू में भर्ती रखने के नाम पर लाखों रुपये वसूले गए, लेकिन न तो मरीज से मिलने दिया गया और न ही उसकी हालत की जानकारी दी गई। मंगलवार शाम जब मरीज को बरेली रेफर करने की बात कहकर बाहर निकाला गया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।


पूरनपुर क्षेत्र के चांट फिरोजपुर निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि उसका छोटा भाई विष्णु (35) चार दिन पहले एक सड़क हादसे में घायल हो गया था। पहले उसे पूरनपुर के सीएचसी में भर्ती कराया गया और फिर गंभीर स्थिति के चलते शहर के निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। राजेंद्र ने बताया कि भर्ती के लिए शुरू में 30 हजार रुपये लिए गए और बाद में ऑपरेशन के नाम पर एक लाख रुपये और मांगे। कुल मिलाकर चार दिनों में लगभग तीन लाख रुपये जमा करवाए गए, लेकिन पूरे समय परिजनों को मरीज से मिलने नहीं दिया गया। राजेंद्र ने आरोप लगाया कि मंगलवार को जब डॉक्टर ने मरीज को बरेली रेफर करने की बात कही और उसे स्ट्रेचर पर बाहर लाया गया तो उस समय विष्णु की मौत हो चुकी थी। मृतक के शरीर को देखने पर परिजनों को शक हुआ कि उसकी मौत दो से तीन दिन पहले ही हो चुकी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि डॉक्टर लाश का इलाज करते रहे और उनसे पैसे वसूलते रहे।


जमीन गिरवी रखकर कराया इलाज

राजेंद्र ने बताया कि विष्णु उनके परिवार में सबसे छोटा था। उसे बचाने के लिए परिवार ने तीन बीघा जमीन तक गिरवी रख दी। उस जमीन से मिले तीन लाख रुपये उसके इलाज में लगा दिए गए, लेकिन वह फिर भी नहीं बच सका। विष्णु की एक साल पहले शादी हुई थी और उसकी पत्नी इस समय गर्भवती है। इस घटना ने पूरा परिवार सदमे में है। छोटे भाई के परिवार को देखने वाला कोई नहीं है। वह खुद भी मजदूरी करके अपना परिवार चलाते हैं।


मरीज की मौत पर अस्पताल में हंगामा, जांच के आदेश

मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। घटना की जानकारी मिलने पर भाकियू के मंडल अध्यक्ष हरजिंदर सिंह काहलो और जिलाध्यक्ष वेदप्रकाश कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंचे। सुनगढ़ी और कोतवाली पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंची। एसीएमओ डॉ. एसके सिंह ने भी मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी जुटाई और अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा। परिजनों की ओर से अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि तहरीर मिलने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


अस्पताल का स्टाफ मौके से फरार

घटना के बाद जब अस्पताल में हंगामा शुरू हुआ तो चिकित्सक और पूरा स्टाफ मौके से फरार हो गया। केवल रिसेप्शन पर दो महिला कर्मचारी मौजूद रहीं। कई घंटों तक एसीएमओ और पुलिस के बुलाने के बाद भी डॉक्टर सामने नहीं आए। यह भी चर्चा रही कि चिकित्सक अस्पताल के अंदर ही कहीं छिपा हुआ था, लेकिन उसने न तो कोई बातचीत की और न ही घटना के संबंध में कोई बयान दिया। 


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