पूर्व राष्ट्रपित धनखड़ के इस्तीफे की वजह आई सामने! फटाफट जान लें

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 23 Jul 2025, 12:49 pm
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पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर अटकलों का दौर जारी है। हालांकि अब एक और मुख्य कारण सामने आ गया है। आइये पूरा मामला जानते हैं।

देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया है। उनके इस्तीफे को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। धनखड़ ने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य कारण बताए, हालांकि नेता-मंत्री इसे दवाब में इस्तीफा बताया। अब उनके इस्तीफे के पीछे एक और वजह सामने आई है। अब उनके इस्तीफे का कारण जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ राज्यसभा में लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को माना जा रहा है, जिसे धनखड़ ने बतौर सभापति स्वीकार कर लिया था। इस प्रस्ताव पर विपक्ष के 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इसकी जानकारी न तो सरकार के फ्लोर लीडर्स को दी गई थी और न ही सत्ताधारी दल के किसी सदस्य ने इसमें हिस्सा लिया था।


सरकार की योजना थी कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पहले लोकसभा में लाया जाए, जहां सरकार को बहुमत हासिल है। इसके लिए विपक्ष और सत्तापक्ष के 145 सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए थे, जिनमें राहुल गांधी, रविशंकर प्रसाद और अनुराग ठाकुर जैसे नाम भी शामिल थे। लेकिन राज्यसभा में सोमवार दोपहर करीब 3:30 बजे जब धनखड़ ने महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार किया और उस पर कार्यवाही शुरू करने का एलान किया तो यह सत्तापक्ष के लिए अप्रत्याशित था। इस प्रस्ताव में भाजपा या सहयोगी दलों का कोई सांसद शामिल नहीं था। माना जा रहा है कि यह समन्वय की कमी थी, लेकिन सरकार को अपेक्षा थी कि सभापति कार्यालय से उन्हें पहले से सूचना मिलेगी।


धनखड़ इस मुद्दे पर शुरू से काफी मुखर रहे थे। उन्होंने राज्यसभा के महासचिव को निर्देश दिया था कि महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जाए और इसके लिए दोनों सदनों की संयुक्त समिति बनाई जाए। वह चाहते थे कि यह मामला राज्यसभा से ही शुरू हो, लेकिन इसी के साथ एक और जटिलता भी थी। विपक्ष की ओर से राज्यसभा में ही जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ भी महाभियोग का प्रस्ताव पहले से लंबित था। ऐसे में आशंका थी कि वह मामला भी साथ ही उठ सकता है, जिससे सरकार के लिए स्थिति असहज हो सकती थी।


सूत्रों के मुताबिक सत्तापक्ष की ओर से इस स्थिति को लेकर नाराजगी जताई गई और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संकेत दिए कि वह और किरेन रिजिजू प्रस्तावित मंत्रणा बैठक में शामिल नहीं होंगे। इसी बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कक्ष में भाजपा सांसदों से एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर लिए गए, जो संभवतः जस्टिस वर्मा के खिलाफ नोटिस से जुड़ा था, लेकिन संभव है कि धनखड़ ने इसे किसी और रूप में लिया हो। घटनाक्रम तेजी से आगे बढ़ा और यह असहजता इतनी बढ़ गई कि धनखड़ ने अचानक इस्तीफे का निर्णय लिया और शाम छह बजे तक इसका संकेत सरकार को भी दे दिया। स्वभाव से साफगोई और अक्खड़पन के लिए पहचाने जाने वाले धनखड़ ने इस पूरे घटनाक्रम के बाद पद से हटने का फैसला कर लिया।


इसके बाद उन्होंने उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला उन्होंने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लिया। राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा सौंपा। इसके अगले ही दिन राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उनके स्वास्थ्य की कामना की। विपक्ष के नेताओं ने इसे दवाब में फैसला लेने की बात कही है।


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