Curated By:
editor1 |
Hindi Now Uttar Pradesh • 31 Jul 2025, 01:51 pm
उत्तर प्रदेश में कम छात्र संख्या वाले सरकारी स्कूलों के मर्जर को लेकर हो रहे व्यापक विरोध के बीच सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब ऐसे स्कूलों का विलय नहीं किया जाएगा, जो एक किलोमीटर से दूर स्थित हैं। इसके अलावा जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 50 से अधिक है। वह भी इस प्रक्रिया से बाहर रहेंगे। यह निर्देश राज्य के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने जारी किए हैं। सरका के इस फैसले से प्रदर्शन कर रहे शिक्षक संघों और अभिभावकों में खुशी की लहर है।
प्रदेश भर के कई जिलों में शिक्षक संघों और अभिभावकों की तरफ से स्कूलों के विलय के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि प्राथमिक विद्यालयों के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विलय के बाद बच्चों को दूर के स्कूलों में जाना पड़ रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है। कई अभिभावकों ने इस बात की शिकायत भी दर्ज कराई है कि नया स्कूल बच्चों के घर से बहुत दूर है। इन्हीं शिकायतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है।
लोकभवन में मीडिया को संबोधित करते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि बीते आठ वर्षों में परिषदीय स्कूलों की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार हर बच्चे को शिक्षा के अधिकार के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मंत्री ने बताया कि 2017 के बाद से सरकार द्वारा स्कूलों की स्थिति सुधारने के विशेष प्रयास किए गए हैं। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।
मंत्री ने कहा कि आज प्रदेश के 96 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में बच्चों के लिए पीने के पानी की सुविधा, शौचालय और अन्य आवश्यक मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे और उसे नजदीक ही अच्छा स्कूल और सुविधाएं मिल सकें। फिलहाल नए निर्देशों से न केवल बच्चों को राहत मिलेगी, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों की चिंताओं का समाधान भी होगा। इस निर्णय से सरकार की स्कूल सुधार नीति को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
यह भी पढ़ें- सरकार को रास नहीं आए उठक-बैठक लगाने वाले SDM, 36 घंटे के भीतर तबादला, जानें पूरा मामला