Explainer: चिराग ने डाली NDA में 'फूट'? नीतीश को लपेटा, BJP परेशान! क्या चाहते हैं चिराग पासवान?

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 11 Jul 2025, 04:48 pm
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चिराग पासवान ने NDA में भूचाल ला दिया है। नीतीश सरकार पर हमले और 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान से BJP भी असहज हो गई है। क्या चिराग खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बना रहे हैं? पूरी कहानी जानिए।

बिहार की राजनीति एक बार फिर उफान पर है। NDA की साझेदारी के बावजूद, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की सरकार पर तीखा हमला बोला है। खास बात यह है कि चिराग इस समय खुद NDA का हिस्सा हैं, लेकिन उनके हालिया बयानों से गठबंधन में तनाव साफ झलक रहा है। गोरखपुर से गूंजते हर-हर महादेव के साथ जहां सावन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पूजा वायरल हो रही है, वहीं बिहार में NDA के भीतर ही सियासी दरार की चर्चा तेज हो गई है।


चिराग का हमला और बैकफुट पर नीतीश सरकार 

छपरा की ‘नव संकल्प महासभा’ में चिराग ने कहा, “बिहार में लूट, हत्या और अपराध नया नॉर्मल बन गया है।” उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और हर सीट से चिराग पासवान बनकर मैदान में उतरेंगे। यह बयान न सिर्फ विपक्ष को बल देता है बल्कि JDU और BJP के बीच संबंधों में भी खटास ला सकता है।


चिराग ने पटना के चर्चित व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या का जिक्र करते हुए पूछा, “जब ऐसे बड़े लोग सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता का क्या होगा?” इस बयान के बाद चिराग के बहनोई और सांसद अरुण भारती ने भी ट्वीट कर नीतीश सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “बिहार लहूलुहान है। पूर्णिया में पांच हत्याएं, सिवान, बक्सर और नालंदा में नरसंहार — यह जंगलराज नहीं तो क्या है?”


NDA में सियासी खिंचतान? चिराग की रणनीति क्या है?

बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में चुनाव होने हैं। ऐसे में चिराग की यह सक्रियता महज बयानबाजी नहीं मानी जा रही। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, चिराग NDA में रहकर ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ खेल रहे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें 40 विधानसभा सीटें दी जाएं, जबकि NDA सिर्फ 20–22 सीटों के लिए तैयार है। 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग ने NDA से अलग होकर 135 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई, लेकिन JDU को भारी नुकसान हुआ और वह तीसरे नंबर पर पहुंच गई। चिराग का 5.66% वोट शेयर और पासवान समुदाय (5.3% आबादी) में मजबूत पकड़ NDA के लिए अहम है।


चिराग का कहना है कि वे उन 9 सीटों पर तो ज़रूर दावा करेंगे जहां उनकी पार्टी 2020 में दूसरे नंबर पर थी, लेकिन JDU इन पर राज़ी नहीं है। यही कारण है कि चिराग की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। JDU नेता उपेंद्र कुशवाहा ने चिराग को गठबंधन की “लक्ष्मण रेखा” न लांघने की सलाह दी है। वहीं, RJD नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश पर “जंगलराज” का आरोप लगाते हुए चिराग के बयानों को अपने पक्ष में भुनाना शुरू कर दिया है। इस बीच, कयास लगाए जा रहे हैं कि चिराग प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से भी हाथ मिला सकते हैं, हालांकि अभी तक इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।


क्या चिराग बनेंगे NDA के लिए चुनौती?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान NDA के लिए एक संभावित 'डैमेज डीलर' भी हो सकते हैं और एक ज़रूरी 'डीलमेकर' भी। अगर वो NDA से अलग होकर चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा-जेडीयू का वोट बैंक प्रभावित हो सकता है, और इसका सीधा फायदा महागठबंधन को मिलेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने 5 में से 5 सीटें जीतकर यह साबित किया है कि वे अपनी सियासी ज़मीन पर मज़बूती से खड़े हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव अलग गणित रखते हैं। चिराग पासवान की आक्रामक राजनीति ने बिहार में सियासी तापमान बढ़ा दिया है। भले ही वो पीएम मोदी को अपना “हनुमान” बताते रहें, लेकिन नीतीश पर उनके हमले JDU-BJP समीकरण को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है, क्या चिराग NDA का चेहरा चमकाएंगे या उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती बनेंगे?


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