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Hindi Now Uttar Pradesh • 04 Jul 2025, 11:42 am
भारत में कोरोना वायरस के अलावा तीन अन्य संक्रामक बीमारियों का पता चला है। इन बीमारियों ने पिछले 10 वर्षों में हर दूसरे भारतीय को अपने चपेट में लिया है। ये बीमारियां डेंगू, हेपेटाइटिस ए और डिप्थीरिया हैं, जो चुपचाप देश की बड़ी आबादी को प्रभावित कर चुकी हैं। किसी में इन बीमारियों के लक्षण दिखे हैं और किसी में नहीं दिखे। जिन लोगों में लक्षण नजर नहीं आए, ऐसे लोग भी संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि वह ऐसे लोगों की शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधात्कम क्षमता से ही ठीक हो गए और उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक हालिया रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (NIE) के वैज्ञानिकों ने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर एक सीरो सर्वे किया है, जिसमें यह पता लगाने की कोशिश की गई कि भारत की जनसंख्या में सबसे ज्यादा प्रसारित होने वाली संक्रामक बीमारियां कौन-सी हैं।
अध्ययन के तहत देश के विभिन्न क्षेत्रों से 5 से 90 वर्ष की आयु के करीब 30,000 लोगों के ब्लड सैंपल्स लिए गए। इन सैंपलों की जांच कर वैज्ञानिकों ने इन तीन बीमारियों से संबंधित एंटीबॉडी का पता लगाया। परिणामों से पता चला कि 77 फीसदी लोगों के शरीर में डेंगू वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी मौजूद हैं। वहीं, 70 फीसदी आबादी में हेपेटाइटिस ए वायरस से जुड़ी एंटीबॉडी पाई गईं। डिप्थीरिया टॉक्सिन के खिलाफ एंटीबॉडी 60 फीसदी से अधिक लोगों में पाई गई हैं। एनआईई के निदेशक डॉ. मनोज वी. मुरहेकर ने कहा कि यह अध्ययन भारत में ‘साइलेंट इंफेक्शनों’ की असल स्थिति को सामने लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
डेंगू वायरस हर साल अपने स्ट्रेन बदलता है, जिससे संक्रमण की पुनरावृत्ति का खतरा बना रहता है। आईसीएमआर-एनआईई के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. हेमंत शेवडे के मुताबिक संक्रमण कई बार बिना लक्षणों के भी हो जाता है और व्यक्ति को पता तक नहीं चलता। 2017-18 में 60 जिलों में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 5 से 45 वर्ष के 49 फीसदी लोगों में डेंगू के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गईं। डेंगू का असर उत्तर, पश्चिम और दक्षिण भारत में अधिक देखा गया। हेपेटाइटिस ए के संक्रमण के मामले मुख्यतः बच्चों में पाए गए हैं। खासकर 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इसके एंटीबॉडी की मौजूदगी का संकेत देती है कि दूषित पानी और भोजन के कारण यह बीमारी कम उम्र में ही हो जाती है और कई बार यह रिपोर्ट भी नहीं होती।
डिप्थीरिया के खिलाफ देशभर में टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, फिर भी सीरो सर्वे में यह बात सामने आई कि उम्र के साथ इसकी इम्युनिटी कम होती जाती है। 5 से 17 साल के बच्चों में से केवल 30 फीसदी में ही पर्याप्त प्रतिरक्षा पाई गई। 10 फीसदी बच्चे पूरी तरह असुरक्षित मिले, जिनमें से अधिकांश उत्तर-पूर्व भारत से थे। यह दर्शाता है कि टीकाकरण के बावजूद खतरा बना हुआ है और व्यापक सतर्कता की आवश्यकता है।
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