बदलेंगे हिंदू-रीति-रिवाज, नई हिंदू आचार संहिता में शादी-मृत्यु भोज के साथ कई बड़े बदलाव, आप भी जानिए

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 25 Jul 2025, 10:23 am
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काशी विद्वत परिषद ने नई हिंदू आचार संहिता किया तैयार, जल्द करेगा लागू

सनातन धर्म में चल रही तमाम भ्रांतियों को दूर करने और सुधार लाने के लिए काशी विद्वत परिषद ने एक नई हिंदू आचार संहिता जारी की है। 400 पन्नों के इस दस्तावेज को देश भर के विद्वानों, शंकराचार्यों, महामंडलेश्वरों और संतों के साथ लंबे विचार-विमर्श और कई बैठकों के बाद अंतिम रूप दिया गया है। नई संहिता में दहेज पर पूर्ण प्रतिबंध, शादियों में फिजूलखर्ची पर रोक और दिन में विवाह करने की बात कही गई है।


गर्भगृह में सिर्फ पुजारी ही जा सकेंगे

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य और देश भर के संतों की मुहर नई हिंदू आचार संहिता पर लगी है। देश भर के संतों ने अपनी सहमति दी है। जिसे अब जनता तक पहुंचाने की रणनीति बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि नई हिंदू आचार संहिता में मंदिर के गर्भगृह में केवल अर्चकों के ही प्रवेश के अधिकार होगा। मृत्यु भोज, जन्मदिन, घर वापसी और दलितों के लिए भी नए नियम बने हैं।


हिंदू धर्म में वापसी के नए नियम

प्रो. रामनारायण ने बताया कि हिंदू आचार संहिता को तैयार करने के लिए देश भर के धर्मस्थलों पर 40 बार बैठक हुई। मनु स्मृति, पराशर स्मृति और देवल स्मृति को आधार बनाकर स्मृतियों के साथ ही भागवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के प्रमुख अंशों को शामिल करते हुए इसे तैयार किया गया है। 70 विद्वानों की 11 टीम और तीन उप टीम बनाई गई थी। जिन्होंने नई हिंदू आचार संहिता बनाई है। रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि नई संहिता में कन्या भ्रूण हत्या को पाप बताया गया है। पुरुषों की तरह ही महिलाओं के समान अधिकार दिया गया है। महिलाएं भी यज्ञ आदि कर सकेंगी। कोई अगर हिंदू धर्म में वापस आना चाहता है तो उसके लिए सरल पद्धति बनाई गई ह। जो भी ब्राह्मण उनकी शुद्धि कराएगा, वह उसे अपना गोत्र देगा।


मृत्यु भोज में सिर्फ 13 लोगों को भोजन

प्रो. रामनारायण ने बताया कि पहले चरण में 356 पेज की आचार संहिता की एक लाख प्रतियां छपवाई और घर-घर तक पहुंचाई जाएंगी। नई संहिता में वैदिक परंपरा के अनुसार दिन में विवाह करने के निर्देश हैं। विवाह में कन्यादान के अलावा दहेज को पूरी तरह से रोका गया है। इसके साथ ही प्री वेडिंग शूट पर भी रोक लगाने और मृत्यु  भोज के लिए नियम बने हैं। महज 13 लोगों को भोज कराकर तेरहवीं परंपरा निभाई जा सकती है। 


दिन में होगी शादी

प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि पहले सनातन धर्म में शादियां दोपहर में होती थीं। लेकिन मुगलकालीन शासन के दौरान आक्रांताओं द्वारा जब हमले होने लगे तो शादियां रात में होने लगीं। इसी को लोगों ने नियम बना दिया था। जबकि अपने शास्त्रों में दिन के विवाह की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार विवाह दिन में हो तो ज्यादा बेहतर है।


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