BREAKING: प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग गिरी, पांच बच्चों की मौत, 20 अधिक दबे होने की आशंका, जानें पूरा हादसा

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 25 Jul 2025, 11:10 am
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राजस्थान के झालावाड़ में एक बड़ा हादसा हो गया है। यहां एक प्राइमरी स्कूल की छत गिर गई है। इस हादसे में पांच बच्चों की मौत हो गई है, जबकि 20 से अधिक छात्रों के दबे होने की आशंका जताई गई है। आइये पूरा हादसा जानते हैं।

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से दर्दनाक हादसा हो गया। इस हादसे में 5 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक छात्रों के मलबे में दबने की आशंका है। बताया जा रहा है कि यह हादसा उस समय हुआ, जब स्कूल में प्रार्थना सभा चल रही थी। अचानक स्कूल की छत भरभराकर गिर गई। इससे पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। हादसे की सूचना मिलते ही शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने तत्काल इस घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।


घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, प्रशासनिक अमला और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। बचाव कार्य तुरंत शुरू कर दिया गया। मलबे में दबे बच्चों को बाहर निकालने के लिए प्रशासन के साथ स्थानीय लोग भी पूरी ताकत से जुट गए हैं। ग्रामीणों ने बिना देरी किए राहत कार्य में हाथ बंटाया और मलबा हटाने में सक्रिय भूमिका निभाई। हर कोई यही प्रयास कर रहा है कि समय रहते बच्चों को बाहर निकाला जा सके ताकि उनकी जान बचाई जा सके।


यह घटना झालावाड़ जिले के मनोहर थाना क्षेत्र में स्थित सरकारी स्कूल की है। यह इमारत लंबे समय से जर्जर स्थिति में थी। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण छत की हालत और भी खराब हो गई थी। इससे इसके गिरने की आशंका पहले से बनी हुई थी। हादसे के बाद गंभीर रूप से घायल बच्चों को झालावाड़ जिला अस्पताल में रेफर किया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। जानकारी के मुताबिक मलबे में दबे सभी बच्चे कक्षा 7वीं के थे, जो हादसे के समय कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे।


इस दर्दनाक घटना पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि झालावाड़ के मनोहरथाना में एक सरकारी स्कूल की इमारत गिरने की खबर अत्यंत दुखद है, जिसमें कई बच्चे और शिक्षक हताहत हुए हैं। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि जनहानि कम हो और जो भी घायल हैं, वे जल्द स्वस्थ हों। यह हादसा एक बार फिर सरकारी भवनों की जर्जर स्थिति और समय पर मरम्मत न होने की गंभीरता को उजागर करता है।


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