दिव्यांग दंपति का घर गिराने के मामले में डीएम सख्त, कर्मचारियों के खिलाफ उठाया ये कदम, आप भी कहेंगे बढ़िया

Curated By: editor1 | Hindi Now Uttar Pradesh • 22 Jul 2025, 02:16 pm
news-banner
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आई है। यहां प्रशासनिक अमले ने एक दिव्यांग दंपति का घर बिना नोटिस के गिरा दिया है। इतना ही नहीं दंपति का यह वैध मकान था। इस पर कई सवाल उठ रहे हैं। आइये पूरा मामला जानते हैं।

फतेहपुर जिले के सदर तहसील क्षेत्र के बरमतपुर गांव में एक दिव्यांग दलित दंपति का मकान बिना नोटिस के गिराए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राजस्व विभाग की एक गलती ने पीड़ित परिवार को बेघर कर दिया है। साथ ही उनके सालों पुराने आशियाने को एक पल में मलबे में तब्दील कर दिया है। दरअसल 16 जुलाई को राजस्व विभाग की टीम ने अतिक्रमण का हवाला देते हुए कार्रवाई की थी, लेकिन गाटा संख्या 36 के बजाय गाटा संख्या 52 पर स्थित मकान को गिरा दिया गया। यह आवास अनिल कुमार और उनकी पत्नी की वैध जमीन थी। खास बात यह है कि दोनों पति-पत्नी दिव्यांग हैं और उनका दावा है कि वह पिछले 40 वर्षों से उस जमीन पर रह रहे हैं, जो उनकी भूमिधरी संपत्ति है। इस मकान के निर्माण के लिए सरकार से उन्हें आर्थिक सहायता भी मिली थी।


इस मामले में बिना किसी नोटिस के की गई कार्रवाई पर जब सोशल मीडिया में वीडियो वायरल हुआ तो राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई और जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने पीड़ित परिवार को भरोसा दिलाया कि उन्हें न्याय मिलेगा और उनका मकान फिर से बनवाया जाएगा। क्षेत्रीय विधायक जयकुमार जैकी ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार से बात की और पूरे प्रकरण से अवगत कराया। मुख्य सचिव ने मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया है।


जिलाधिकारी ने लिया एक्शन, राजस्व निरीक्षकऔर लेखपाल को किया निलंबित

इस बीच जिलाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए राजस्व निरीक्षक और लेखपाल को निलंबित कर दिया है। वहीं नायब तहसीलदार को भूलेख कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। पीड़ित परिवार की शिकायत में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और लेखपाल की भूमिका को संदिग्ध बताया गया है। पूरे प्रकरण को लेकर प्रशासन पर भारी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बिना नोटिस के कार्रवाई कैसे की गई और क्यों गलत गाटा संख्या पर मकान गिराया गया। यह मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही का नहीं, बल्कि आमजनों के प्रति असंवेदनशीलता का भी उदाहरण बन गया है। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद दोषियों को क्या सजा मिलती है और पीड़ित परिवार को उनका घर कब तक वापस मिल पाता है।

यह भी पढ़ें- यूपी में जमीनों को लेकर सीएम योगी का ऐसा फैसला, 90 फीसदी लोगों को होगा फायदा! 

advertisement image