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Hindi Now Uttar Pradesh • 04 Jul 2025, 01:07 pm
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचाई है। यहां सबसे ज्यादा परेशानी मंडी जिले में देखी जा रही है। इस जिले की सराज घाटी में भारी बारिश और बादल फटने के बाद सड़कें पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं। कई इलाकों में बिजली, पानी और संचार सेवाएं पूरी तरह बंद हैं। इससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। आपदा के चलते सराज की लगभग 38 पंचायतें बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट गई हैं। सड़कें और पुल बहने की वजह से राहत और बचाव टीमें भी कई क्षेत्रों में अभी तक नहीं पहुंच सकी हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि प्रशासन के पास भी लापता लोगों की पूरी जानकारी नहीं है।
एक और शव बरामद, मृतकों की संख्या 16 पहुंची, 55 अभी भी लापता
थुनाग क्षेत्र में गुरुवार को एक और शव बरामद किया गया है। इससे जिले में मृतकों की संख्या 16 पहुंच गई है, जबकि 55 लोग अभी भी लापता हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। थुनाग के हॉर्टिकल्चर कॉलेज के 92 प्रशिक्षु सुरक्षित निकाले गए हैं। वहीं जंजैहली में क्लब महिंद्रा में फंसे 60 पर्यटक भी सुरक्षित हैं। सराज घाटी की लगभग 80 हजार की आबादी इस आपदा से सीधे तौर पर प्रभावित हुई है। एक साथ कई जगह बादल फटने के कारण गांवों के बीच संपर्क टूट गया है। प्रशासन की टीमें अब तक पखरैर, बहल, लंबाथाच, चिऊणी, शिल्हीबागी जैसे कई गांवों में नहीं पहुंच पाई हैं।
खाद्यान्न पहुंचाने में भी परेशानी
प्रभावित इलाकों में गुरुवार को हेलिकॉप्टर से कुछ जगहों पर राहत सामग्री पहुंचाई गई, लेकिन सड़क मार्ग ठप होने से यह काम भी चुनौतीपूर्ण बन गया है। खाद्यान्न संकट गहराने पर प्रशासन अब खच्चरों के माध्यम से राशन और पानी पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि बच्चे भूखे हैं और दुकानों में सामान खत्म हो चुका है। सराज घाटी के थुनाग, जंजैहली जैसे इलाकों में बिजली और दूरसंचार सेवाएं पूरी तरह बंद हैं। बगस्याड़ से थुनाग तक सड़क बहाल करने के लिए छह मशीनें लगाई गई हैं। मंडी जिले में इस समय 188 सड़कें और 511 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं, जबकि 25 पंचायतों में पानी की भारी किल्लत बनी हुई है।
इस साल आपदा से 400 करोड़ के नुकसान का अनुमान
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि जिले में नुकसान का अनुमान 400 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, जिसमें से 115 करोड़ रुपये का नुकसान सरकारी विभागों को हुआ है। अब तक 14 पुल पूरी तरह से बह चुके हैं। कई इलाकों से अभी भी संपर्क नहीं हो पाया है। इससे लापता लोगों की संख्या में बदलाव संभव है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी नुकसान हुआ है। चंबा और कांगड़ा में दो लोगों की जान गई है, जबकि ऊना जिले में एक पोल्ट्री फार्म में पानी भरने से 10,000 चूजों की मौत हो गई है। कुल्लू में भूस्खलन के कारण मनाली-लेह हाईवे 10 घंटे तक बंद रहा। पूरे राज्य में गुरुवार को 246 सड़कें, 404 ट्रांसफार्मर और 784 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी थीं।
आज भी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने शुक्रवार को भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। 4 जुलाई के लिए येलो और 5 से 9 जुलाई तक ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। एनडीआरएफ की टीमें मंडी के करसोग, गोहर और थुनाग में मोर्चा संभाले हुए हैं। पांच राहत शिविर बनाए गए हैं और हिमाचल सरकार ने केंद्र से वित्तीय मदद की मांग की है। आपदा से प्रभावित 357 लोगों को फिलहाल राहत शिविरों में रखा गया है, जबकि लापता लोगों की तलाश जारी है।
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